इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करे। साथ ही इस दिन अपने दिन की शुरुआत सूर्य को अर्घ देने के साथ करें।
इसके पश्चात धूप और घी का दीपक जलाकर शिव जी आरती करें और फिर कोकिला व्रत कथा का पाठ करें।
आप चाहें तो निराहार रहकर इस व्रत को कर सकते हैं। अगर समर्थ नहीं हो तो आप एक समय फलाहार get more info कर सकते हैं।
कोकिला व्रत क्या है? पार्वती जी ने कैसे पाया शिव जी को? जानिए विधि, महत्व और कथा
महाप्रभु जगन्नाथ को कलियुग का भगवान भी कहते है. पुरी (उड़ीसा) में जग्गनाथ स्वामी अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ निवास करते है.
कृष्ण और शिकारी, संत की कथा - प्रभु भक्त अधीन
भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
विश्वास है कि इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
दिल्ली के प्रसिद्ध हनुमान बालाजी मंदिर
काशी विश्वनाथ मंदिर आरती और दर्शन का समय
पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
वह शिव से हठ करके दक्ष के यज्ञ पर जाकर पाती हैं, कि उनके पिता ने उन्हें पूर्ण रुप से तिरस्कृत किया है। दक्ष केवल सती का ही नही अपितु भगवान शिव का भी अनादर करते हैं उन्हें अपशब्द कहते हैं। सती अपने पति के इस अपमान को सह नही पाती हैं और उसी यज्ञ की अग्नि में कूद जाती हैं। सती अपनी देह का त्याग कर देती हैं।
राजा दक्ष एक बार यज्ञ का आयोजन करते हैं। इस यज्ञ में वह सभी लोगों को आमंत्रित करते हैं ब्रह्मा, विष्णु व सभी देवी देवताओं को आमंत्रण मिलता है किंतु भगवान शिव को नहीं बुलाया जाता है।
यह व्रत आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।